बेहतर दिनों की आस- हबीब अमरोहवी
हबीब अमरोहवी बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'हबीब' हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए ! (हबीब अमरोहवी)
November 04, 2022हबीब अमरोहवी बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'हबीब' हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए ! (हबीब अमरोहवी)
Best Shayari वो मिली भी थी तो सब्ज़ी मंडी में, ना भाव कम करा सके और ना धनिया फ़्री का ला सके…!!
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Mirza Galib Poetry “हम जो सबका दिल रखते हैं सुनो, हम भी एक दिल रखते हैं”
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